Ankit Shukla
03-05-1997 Sitapur
लफ़्ज़ों में ही पेश कीजियेगा अपनेपन की दावेदारियाँ..!
ये शहर-ए-नुमाइश है..यहाँ अहसास के जौहरी नहीं रहते..!!
Time : 2021-07-23 12:05:41
लफ़्ज़ों में ही पेश कीजियेगा अपनेपन की दावेदारियाँ..!
ये शहर-ए-नुमाइश है..यहाँ अहसास के जौहरी नहीं रहते..!!
Time : 2021-07-23 12:05:41
ध्यान और प्रेम करीब-करीब एक ही अनुभव के दो नाम हैं।
जब किसी दूसरे व्यक्ति के संपर्क में ध्यान घटता है, तो हम उसे
प्रेम कहते हैं। और जब बिना किसी दूसरे व्यक्ति के, अकेले ही प्रेम
घट जाता है, तो उसे हम ध्यान कहते हैं। ध्यान और प्रेम एक ही
सिक्के के दो पहलू हैं। ध्यान और प्रेम एक ही दरवाजे का नाम है,
दो अलग-अलग स्थानों से देखा गया। अगर बाहर से देखोगे, तो
दरवाजा प्रेम है। अगर भीतर से देखोगे, तो दरवाजा ध्यान है। जैसे
एक ही दरवाजे पर बाहर से लिखा होता है एंट्रेन्स, प्रवेश; और
भीतर से लिखा होता है एग्जिट, बहिर्गमन। वह दरवाजा दोनों
काम करता है। अगर बाहर से उस दरवाजे पर आप पहुँचे, तो लिखा
है प्रेम। अगर भीतर से उस दरवाजे को अनुभव किया तो लिखा
ध्यान। ध्यान अकेले में ही प्रेम से भर जाने का नाम है और प्रेम
दूसरों के साथ ध्यान में उतर जाने की कला है।
Time : 2021-07-23 12:05:27
लफ़्ज़ों में ही पेश कीजियेगा अपनेपन की दावेदारियाँ..!
ये शहर-ए-नुमाइश है..यहाँ अहसास के जौहरी नहीं रहते..!!
Time : 2021-07-23 12:05:41
ध्यान और प्रेम करीब-करीब एक ही अनुभव के दो नाम हैं।
जब किसी दूसरे व्यक्ति के संपर्क में ध्यान घटता है, तो हम उसे
प्रेम कहते हैं। और जब बिना किसी दूसरे व्यक्ति के, अकेले ही प्रेम
घट जाता है, तो उसे हम ध्यान कहते हैं। ध्यान और प्रेम एक ही
सिक्के के दो पहलू हैं। ध्यान और प्रेम एक ही दरवाजे का नाम है,
दो अलग-अलग स्थानों से देखा गया। अगर बाहर से देखोगे, तो
दरवाजा प्रेम है। अगर भीतर से देखोगे, तो दरवाजा ध्यान है। जैसे
एक ही दरवाजे पर बाहर से लिखा होता है एंट्रेन्स, प्रवेश; और
भीतर से लिखा होता है एग्जिट, बहिर्गमन। वह दरवाजा दोनों
काम करता है। अगर बाहर से उस दरवाजे पर आप पहुँचे, तो लिखा
है प्रेम। अगर भीतर से उस दरवाजे को अनुभव किया तो लिखा
ध्यान। ध्यान अकेले में ही प्रेम से भर जाने का नाम है और प्रेम
दूसरों के साथ ध्यान में उतर जाने की कला है।
Time : 2021-07-23 12:05:27