Deepak Seth
1990 VARANASI
तिश्नगी ए इश्क़ में हम भटके इस तरह, कोई काफ़िर भटके खुदा की तलाश में जिस तरह...©जख्मो को कुरेदने से क्या फायदा
ज़ख्म कही नासूर ना बन जाये
दिल की बात कहने से क्या फायदा
बात कही खुद को ही ना लग जाये
कुछ लोग बातों के तीर मारते है
बाद मीठा बोलने से क्या फायदा
दिल के ज़ख्म दिल मे दबे रहने दो
उन्हें कुरेदने से क्या फायदा।
Time : 2021-12-22 10:50:06
जख्मो को कुरेदने से क्या फायदा
ज़ख्म कही नासूर ना बन जाये
दिल की बात कहने से क्या फायदा
बात कही खुद को ही ना लग जाये
कुछ लोग बातों के तीर मारते है
बाद मीठा बोलने से क्या फायदा
दिल के ज़ख्म दिल मे दबे रहने दो
उन्हें कुरेदने से क्या फायदा।
Time : 2021-12-22 10:50:06
खुले आसमां में ज़मीं की तलाश ना कर,
जी ले जिंदगी खुशी की तलाश ना कर।
तकदीर बदल जाएगी अपने आप ही यारा,
मुस्कुराना सिख ले वजह की तलाश ना कर।।
Time : 2021-07-31 21:34:55
नींद देती है, ना जाने कितने ख़ाब भी देती है
वो माँ ही है जो हर सवालों का जवाब देती है
जब भी घिरे हो मुश्किलों से बड़े आराम से निकाल देती है
वो माँ ही है जो हर मुसीबतों का मुंहतोड़ जवाब देती है
भूखे हो बच्चे तो अपनी थाली परोस देती है
वो माँ ही है जो अपने भूख को भी मात देती है।
©दीपक सेठ
Time : 2021-05-09 14:41:51
दिल मे दबी कोई टिस तो है
एक तस्वीर आंखों में छपी तो है
यूँ ही आह नही निकल रही
कही कोई कमी सी तो है।
दिल मे दबी कोई टिस तो है....
नींद में कोई खलबली सी तो है
ख्वाबों में कोई मनचली तो है
यूँ ही नही कोई याद आ रहा
कही कोई आग लगी तो है।
दिल मे दबी कोई टिस तो है....
शायरी में किसी का ज़िक्र तो है
कुछ न सही मगर दिल्लगी तो है
इस लॉकडाउन में हर तरफ सन्नाटा है
फिर भी दिल मे कोई खलबली तो है।
दिल मे दबी कोई टिस तो है....
एक तस्वीर आंखों में छपी तो है
यूँ ही आह नही निकल रही
कही कोई कमी सी तो है।
©दीपक सेठ
Time : 2021-04-26 08:57:28
एक दिन बहुत दूर चले जायेंगे हम
दूर फ़िज़ाओं में तारो के बीच नजर आएंगे हम
सोच कर आंखे नम ना करना
जमाने भर की खुशियां दे जाएंगे हम।
@दीपक सेठ
Time : 2021-04-25 13:47:02
"मेरा शहर बनारस"
उत्तर वाहिनी बहती जहाँ गंगा
भोले की नगरी में हो जाता मन चंगा
वो एक शहर नही मेरी जान बनारस है
मोक्ष मिलती जिस नगरी में
हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट जहाँ पर
भोले की भक्ति में सब झूमे
मिलता श्री विश्वनाथ का धाम जहाँ पर
वो एक शहर नही मेरी जान बनारस है
शास्त्री जी जैसा महान जहाँ पर
प्रेमचंद का गोदान जहाँ पर
मिलता सबसे बढ़िया पान जहाँ पर
वो शहर नही मेरी जान बनारस है
भोले की धूनी में हर कोई रमा जहाँ पर
दबा के मगही पान मुँह में
करता महादेव की गुणगान जहाँ पर
बजती बिस्मिल्लाह खान की शहनाई जहाँ पर
वो शहर नही मेरी जान बनारस है।
पहलवान की लस्सी और अस्सी की शाम जहाँ पर
स्वयं विराजे भैरव बाबा बनकर काशी कोतवाल जहाँ पर
हर हर महादेव का नारा
गूँजता सुबह औ' शाम जहाँ पर
वो शहर नही मेरी जान बनारस है।
©दीपक सेठ
Time : 2021-04-23 20:06:44
"बेटियां"
बड़े खुशनसीब होते है वो लोग
जिनकी पहली संतान होती है बेटियां
कभी लक्ष्मी तो कभी सरस्वती का रूप भी होती है बेटियां
सबके जीवन को खुशहाल बनाती है बेटियां।।
पापा की लाडली औ' माँ की दुलारी होती है बेटियां
भाई की जान औ' शान होती है बेटियां
घर मे छोटी हो तो सबकी दुलारी
और अगर बड़ी हो तो सबकी नानी भी होती है बेटियां।।
पापा के मार से भाई को बचाती है बेटियां
उसके एवज में भाई से पैसे भी ऐंठती है बेटियां
काम करने में कभी सबसे आगे
तो कभी जंगरचोरी भी करती है बेटियां।।
कहते है पराया धन होती है बेटियां
फिर भी हर घर की शान होती है बेटियां
घर के आंगन में जब खेलती है बेटियां
खुशियों से घर को भर देती है बेटियां।।
शादी के बाद अपने ही घर को पराया
और पति के घर को अपना बताती है बेटियां
भाई के लिए पति से भी लड़ती है बेटियां
माँ बाप के बुढ़ापे का सहारा भी होती है बेटियां।।
बन लक्ष्मी बाई अंग्रेजो से लोहा लेती है बेटियां
कभी सीता तो कभी पन्ना धाय के जैसा त्याग भी करती है बेटियां
वीरांगना अहिल्याबाई भी जैसी होती है बेटियां
अपना सम्मान बचाने कभी पद्मावती जैसा जौहर भी करती है बेटियां।।
हर घर का मान-सम्मान, तख्त औ' ताज होती है बेटियां
खुशियों का खजाना तो ऊपरवाले की नायाब रचना है बेटियां
बड़े खुशनसीब होते है वो लोग
जिनकी पहली संतान होती है बेटियां।।
©दीपक सेठ
Time : 2021-04-19 11:17:54
जख्मो को कुरेदने से क्या फायदा
ज़ख्म कही नासूर ना बन जाये
दिल की बात कहने से क्या फायदा
बात कही खुद को ही ना लग जाये
कुछ लोग बातों के तीर मारते है
बाद मीठा बोलने से क्या फायदा
दिल के ज़ख्म दिल मे दबे रहने दो
उन्हें कुरेदने से क्या फायदा।
Time : 2021-12-22 10:50:06
खुले आसमां में ज़मीं की तलाश ना कर,
जी ले जिंदगी खुशी की तलाश ना कर।
तकदीर बदल जाएगी अपने आप ही यारा,
मुस्कुराना सिख ले वजह की तलाश ना कर।।
Time : 2021-07-31 21:34:55
नींद देती है, ना जाने कितने ख़ाब भी देती है
वो माँ ही है जो हर सवालों का जवाब देती है
जब भी घिरे हो मुश्किलों से बड़े आराम से निकाल देती है
वो माँ ही है जो हर मुसीबतों का मुंहतोड़ जवाब देती है
भूखे हो बच्चे तो अपनी थाली परोस देती है
वो माँ ही है जो अपने भूख को भी मात देती है।
©दीपक सेठ
Time : 2021-05-09 14:41:51
एक दिन बहुत दूर चले जायेंगे हम
दूर फ़िज़ाओं में तारो के बीच नजर आएंगे हम
सोच कर आंखे नम ना करना
जमाने भर की खुशियां दे जाएंगे हम।
@दीपक सेठ
Time : 2021-04-25 13:47:02
दिल मे दबी कोई टिस तो है
एक तस्वीर आंखों में छपी तो है
यूँ ही आह नही निकल रही
कही कोई कमी सी तो है।
दिल मे दबी कोई टिस तो है....
नींद में कोई खलबली सी तो है
ख्वाबों में कोई मनचली तो है
यूँ ही नही कोई याद आ रहा
कही कोई आग लगी तो है।
दिल मे दबी कोई टिस तो है....
शायरी में किसी का ज़िक्र तो है
कुछ न सही मगर दिल्लगी तो है
इस लॉकडाउन में हर तरफ सन्नाटा है
फिर भी दिल मे कोई खलबली तो है।
दिल मे दबी कोई टिस तो है....
एक तस्वीर आंखों में छपी तो है
यूँ ही आह नही निकल रही
कही कोई कमी सी तो है।
©दीपक सेठ
Time : 2021-04-26 08:57:28
"मेरा शहर बनारस"
उत्तर वाहिनी बहती जहाँ गंगा
भोले की नगरी में हो जाता मन चंगा
वो एक शहर नही मेरी जान बनारस है
मोक्ष मिलती जिस नगरी में
हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट जहाँ पर
भोले की भक्ति में सब झूमे
मिलता श्री विश्वनाथ का धाम जहाँ पर
वो एक शहर नही मेरी जान बनारस है
शास्त्री जी जैसा महान जहाँ पर
प्रेमचंद का गोदान जहाँ पर
मिलता सबसे बढ़िया पान जहाँ पर
वो शहर नही मेरी जान बनारस है
भोले की धूनी में हर कोई रमा जहाँ पर
दबा के मगही पान मुँह में
करता महादेव की गुणगान जहाँ पर
बजती बिस्मिल्लाह खान की शहनाई जहाँ पर
वो शहर नही मेरी जान बनारस है।
पहलवान की लस्सी और अस्सी की शाम जहाँ पर
स्वयं विराजे भैरव बाबा बनकर काशी कोतवाल जहाँ पर
हर हर महादेव का नारा
गूँजता सुबह औ' शाम जहाँ पर
वो शहर नही मेरी जान बनारस है।
©दीपक सेठ
Time : 2021-04-23 20:06:44
"बेटियां"
बड़े खुशनसीब होते है वो लोग
जिनकी पहली संतान होती है बेटियां
कभी लक्ष्मी तो कभी सरस्वती का रूप भी होती है बेटियां
सबके जीवन को खुशहाल बनाती है बेटियां।।
पापा की लाडली औ' माँ की दुलारी होती है बेटियां
भाई की जान औ' शान होती है बेटियां
घर मे छोटी हो तो सबकी दुलारी
और अगर बड़ी हो तो सबकी नानी भी होती है बेटियां।।
पापा के मार से भाई को बचाती है बेटियां
उसके एवज में भाई से पैसे भी ऐंठती है बेटियां
काम करने में कभी सबसे आगे
तो कभी जंगरचोरी भी करती है बेटियां।।
कहते है पराया धन होती है बेटियां
फिर भी हर घर की शान होती है बेटियां
घर के आंगन में जब खेलती है बेटियां
खुशियों से घर को भर देती है बेटियां।।
शादी के बाद अपने ही घर को पराया
और पति के घर को अपना बताती है बेटियां
भाई के लिए पति से भी लड़ती है बेटियां
माँ बाप के बुढ़ापे का सहारा भी होती है बेटियां।।
बन लक्ष्मी बाई अंग्रेजो से लोहा लेती है बेटियां
कभी सीता तो कभी पन्ना धाय के जैसा त्याग भी करती है बेटियां
वीरांगना अहिल्याबाई भी जैसी होती है बेटियां
अपना सम्मान बचाने कभी पद्मावती जैसा जौहर भी करती है बेटियां।।
हर घर का मान-सम्मान, तख्त औ' ताज होती है बेटियां
खुशियों का खजाना तो ऊपरवाले की नायाब रचना है बेटियां
बड़े खुशनसीब होते है वो लोग
जिनकी पहली संतान होती है बेटियां।।
©दीपक सेठ
Time : 2021-04-19 11:17:54