Jyoti Kumari
2000 Delhi
मेरा परिचय मेरा परिवार है। मेरा व्यवहार है मेरे दोस्त। मेरा भविष्य मेरी पढ़ाई है। और मेरा धन है मेरा कर्म।चलत-चलत तेरा मन न थाके,
आज यह संकल्प तु ठान ले।।
हो जाएगा पास यदि तु,
मेहनत के महत्व को जान ले।।
कभी- कभी तो ऐसा भी हैं होता।
सामने अडिग चट्टान खड़ा हैं होता।।
परंतु तु हताश निराश न होना।
अपने लक्ष्य पर टठस्त जो रहना।।
यदि फिर भी लक्ष्य में दिखे निराशा।
जिसका कोई सामाधान न आता।।
तब एक लम्बी सांस तु लेना।
बड़े-प्रियो से बात-विचार तु कर लेना।।
फिर-से एक नऐ सफर का आगाज़ तु करना।
सुविचारो के नऐ नींव तु रखना।।
लक्ष्य का एक सीढ़ी दार क़िला बनाना।
रोजना एक-एक कर नऐ डेंग बढ़ाना।।
Time : 2021-11-14 21:35:46
चलत-चलत तेरा मन न थाके,
आज यह संकल्प तु ठान ले।।
हो जाएगा पास यदि तु,
मेहनत के महत्व को जान ले।।
कभी- कभी तो ऐसा भी हैं होता।
सामने अडिग चट्टान खड़ा हैं होता।।
परंतु तु हताश निराश न होना।
अपने लक्ष्य पर टठस्त जो रहना।।
यदि फिर भी लक्ष्य में दिखे निराशा।
जिसका कोई सामाधान न आता।।
तब एक लम्बी सांस तु लेना।
बड़े-प्रियो से बात-विचार तु कर लेना।।
फिर-से एक नऐ सफर का आगाज़ तु करना।
सुविचारो के नऐ नींव तु रखना।।
लक्ष्य का एक सीढ़ी दार क़िला बनाना।
रोजना एक-एक कर नऐ डेंग बढ़ाना।।
Time : 2021-11-14 21:35:46
काश! हर दिन चुनाव होता।
आरोप-प्रत्यारोप का दुकान होता।
नेताओं का इम्तिहान होता।
चुनावी रैलियों का भरमार होता।
झूठे वादे बेशुमार होता।
रोजगार का भंडार होता।
योजनाओं का अंबार होता।
जोड़- तोड़ का मेल होता।
सब पैसों का खेल होता।
काश! हर दिन चुनाव होता।
Time : 2021-05-08 07:52:34
*ख्याबो का तराना*
जब मैं सोती हूं, तब मैं ख्याबो को हूं बुनती।
कभी परी तो कभी जादूगर हूं मैं बनती।
अपने समस्याओं का स्वयं मैं निवारण हूं करती।
नई-नई चुनौती का निर्माण मैं स्वयं हूं करती।
कभी-कभी तो मैं ईश्वर से भी हूं मिलती।
यह देख मैं हर्ष और उल्लास से हूं भर जाती।
जब मैं सोती हूं, तब मैं हूं खो जाती।
कभी कभी तो मैं किसी ओर दुनिया में ही गुम हो जाती।
कभी मैं परीक्षा में देर से हूं पहुंचती,
तो कभी परीक्षा में आधा ही हूं लिखती।
कभी मैं सपनो में सर्प को हूं देखती,
तो कभी पहाड़ से गिरता है पत्थर।
यह देख आंखें सहम सी है जाती।
बार-बार मन को करती है विचलित।
जब मैं सोती हूं, तब मैं दस्तानों को हूं लिखती।
कभी अधूरी तो कभी पूरी कहानी का अफसाना हूं बनती।
कभी दुखी तो कभी सुखी का अंबार हूं मैं बनती।
अपने हार और जीत का आधार हूं मैं बनती।
कभी कभी तो मेरी गलतियां करती हैं परेशान।
फिर यही तो मेरी नई सोच और नई उम्मीदों का तराना हैं बुनती।
Time : 2021-05-08 07:51:35
एक दिन मैंने
एक मुठ्ठी चमक चंद्रमा से था मांगा,
चंद्रमा ने फिर हंसकर दिया था जवाब।
यह चमक मेरी अपनी नहीं है,
यह चमक मुझे सूर्यदेव से मिली है।
जब-जब मैं उनसे दूर हूं जाती,
तब-तब मैं अधंकार में डुबती ही जाती।
जब-जब मैं उनके पास हूं आती,
तब-तब नई किरण, नई उम्मीद हूं पाती।
अगर तुम भी दूसरों के अच्छे गुणों को अपनाओगे,
अच्छे चमक का सही अर्थ तुम जल्द समझ जाओगे।।
एक दिन मैंने
एक मुठ्ठी रोशनी सूर्यदेव से था मांगा,
सूर्यदेव ने फिर अपनी किरण से दिया था जवाब।
यह रोशनी मेरा कोई वरदान नहीं है,
बल्कि यह मेरी कड़ी मेहनत का परिणाम है।
जब मै हूं जलता, तब मैं हूं निखरता।
जब मैं हूं तपता, तब मैं हूं फलता।
अगर तुम भी कड़ी मेहनत जो करोगे,
तुम देखोगे कि तुम हमेशा फल-फूलते ही रहोगे।।
एक दिन मैंने
एक मुठ्ठी चंचलता जल से था मांगा।
जल ने फिर बहकर दिया था जवाब।
आओ मैं तुमको इसका राज बताऊं,
अपने राज का तुम्हें साझेदार बनाऊं।
जब मैं हर परिस्थिति में बड़ी आसानी से हूं ढल जाती,
तब जा कर तो मैं लचकदार और चंचल हूं कहलाती।
अगर तुम भी यह गुण धारण कर लोगे,
फिर देखना हर मुश्किलों को बड़ी जल्दी पार तुम कर लोगे।।
एक दिन मैंने
एक मुठ्ठी छाया पेड़ो से था मांगा
पेड़ों ने फिर छाया बिखेर मुझे दिया था जवाब।
यह छाया मेरे वर्षो के कर्मो का परिणाम हैं,
यह छाया मेरे वर्षो के संघर्षो का पुरस्कार हैं।
कई बार तो मैं फेल भी हुआ।
परंतु मैंने अपने आत्मबल को न गिरने दिया।
अगर तुम भी यह बात गांठ बांध लो,
फिर देखना हर मुश्किलों की गांठ खोलना और भी हो जाएगा आसान।।
एक दिन मैंने
एक मुठ्ठी दृढ़ता चट्टान से था मांगा,
चट्टान ने फिर बड़े हर्ष और उल्लास से दिया था जवाब।
यह दृढ़ता मुझे कड़े संकल्प से है मिली,
तभी तो यह सफलता आज मुझे है मिली।
अभी तक मैंने बहुत चोटें हैं खाई,
तभी तो आज मुश्किलों को सहन करने इतनी क्षमता मुझमें हैं आई।
अगर तुम भी यह दृढ़ संकल्प आज कर लोगे,
फिर देखना तुम भी जल्द असमान छू लोगे।।
Time : 2021-04-25 13:46:23
आज मैंने फिर कलम उठाया है।
अपने जज़्बातो को कलम से उतार पेजों पर सवारा है।।
नई कहानी, नई राह पर चलने का इरादा है।
अपनी गलतियों से सीख, अब जीवन को सफल बनाना है।।
Time : 2021-04-17 12:42:44
आज मैंने फिर कलम उठाया है।
अपने जज़्बातो को कलम से उतार पेजों पर सवारा है।।
नई कहानी, नई राह पर चलने का इरादा है।
अपनी गलतियों से सीख, अब जीवन को सफल बनाना है।।
Time : 2021-04-17 12:42:44
चलत-चलत तेरा मन न थाके,
आज यह संकल्प तु ठान ले।।
हो जाएगा पास यदि तु,
मेहनत के महत्व को जान ले।।
कभी- कभी तो ऐसा भी हैं होता।
सामने अडिग चट्टान खड़ा हैं होता।।
परंतु तु हताश निराश न होना।
अपने लक्ष्य पर टठस्त जो रहना।।
यदि फिर भी लक्ष्य में दिखे निराशा।
जिसका कोई सामाधान न आता।।
तब एक लम्बी सांस तु लेना।
बड़े-प्रियो से बात-विचार तु कर लेना।।
फिर-से एक नऐ सफर का आगाज़ तु करना।
सुविचारो के नऐ नींव तु रखना।।
लक्ष्य का एक सीढ़ी दार क़िला बनाना।
रोजना एक-एक कर नऐ डेंग बढ़ाना।।
Time : 2021-11-14 21:35:46
काश! हर दिन चुनाव होता।
आरोप-प्रत्यारोप का दुकान होता।
नेताओं का इम्तिहान होता।
चुनावी रैलियों का भरमार होता।
झूठे वादे बेशुमार होता।
रोजगार का भंडार होता।
योजनाओं का अंबार होता।
जोड़- तोड़ का मेल होता।
सब पैसों का खेल होता।
काश! हर दिन चुनाव होता।
Time : 2021-05-08 07:52:34
*ख्याबो का तराना*
जब मैं सोती हूं, तब मैं ख्याबो को हूं बुनती।
कभी परी तो कभी जादूगर हूं मैं बनती।
अपने समस्याओं का स्वयं मैं निवारण हूं करती।
नई-नई चुनौती का निर्माण मैं स्वयं हूं करती।
कभी-कभी तो मैं ईश्वर से भी हूं मिलती।
यह देख मैं हर्ष और उल्लास से हूं भर जाती।
जब मैं सोती हूं, तब मैं हूं खो जाती।
कभी कभी तो मैं किसी ओर दुनिया में ही गुम हो जाती।
कभी मैं परीक्षा में देर से हूं पहुंचती,
तो कभी परीक्षा में आधा ही हूं लिखती।
कभी मैं सपनो में सर्प को हूं देखती,
तो कभी पहाड़ से गिरता है पत्थर।
यह देख आंखें सहम सी है जाती।
बार-बार मन को करती है विचलित।
जब मैं सोती हूं, तब मैं दस्तानों को हूं लिखती।
कभी अधूरी तो कभी पूरी कहानी का अफसाना हूं बनती।
कभी दुखी तो कभी सुखी का अंबार हूं मैं बनती।
अपने हार और जीत का आधार हूं मैं बनती।
कभी कभी तो मेरी गलतियां करती हैं परेशान।
फिर यही तो मेरी नई सोच और नई उम्मीदों का तराना हैं बुनती।
Time : 2021-05-08 07:51:35
एक दिन मैंने
एक मुठ्ठी चमक चंद्रमा से था मांगा,
चंद्रमा ने फिर हंसकर दिया था जवाब।
यह चमक मेरी अपनी नहीं है,
यह चमक मुझे सूर्यदेव से मिली है।
जब-जब मैं उनसे दूर हूं जाती,
तब-तब मैं अधंकार में डुबती ही जाती।
जब-जब मैं उनके पास हूं आती,
तब-तब नई किरण, नई उम्मीद हूं पाती।
अगर तुम भी दूसरों के अच्छे गुणों को अपनाओगे,
अच्छे चमक का सही अर्थ तुम जल्द समझ जाओगे।।
एक दिन मैंने
एक मुठ्ठी रोशनी सूर्यदेव से था मांगा,
सूर्यदेव ने फिर अपनी किरण से दिया था जवाब।
यह रोशनी मेरा कोई वरदान नहीं है,
बल्कि यह मेरी कड़ी मेहनत का परिणाम है।
जब मै हूं जलता, तब मैं हूं निखरता।
जब मैं हूं तपता, तब मैं हूं फलता।
अगर तुम भी कड़ी मेहनत जो करोगे,
तुम देखोगे कि तुम हमेशा फल-फूलते ही रहोगे।।
एक दिन मैंने
एक मुठ्ठी चंचलता जल से था मांगा।
जल ने फिर बहकर दिया था जवाब।
आओ मैं तुमको इसका राज बताऊं,
अपने राज का तुम्हें साझेदार बनाऊं।
जब मैं हर परिस्थिति में बड़ी आसानी से हूं ढल जाती,
तब जा कर तो मैं लचकदार और चंचल हूं कहलाती।
अगर तुम भी यह गुण धारण कर लोगे,
फिर देखना हर मुश्किलों को बड़ी जल्दी पार तुम कर लोगे।।
एक दिन मैंने
एक मुठ्ठी छाया पेड़ो से था मांगा
पेड़ों ने फिर छाया बिखेर मुझे दिया था जवाब।
यह छाया मेरे वर्षो के कर्मो का परिणाम हैं,
यह छाया मेरे वर्षो के संघर्षो का पुरस्कार हैं।
कई बार तो मैं फेल भी हुआ।
परंतु मैंने अपने आत्मबल को न गिरने दिया।
अगर तुम भी यह बात गांठ बांध लो,
फिर देखना हर मुश्किलों की गांठ खोलना और भी हो जाएगा आसान।।
एक दिन मैंने
एक मुठ्ठी दृढ़ता चट्टान से था मांगा,
चट्टान ने फिर बड़े हर्ष और उल्लास से दिया था जवाब।
यह दृढ़ता मुझे कड़े संकल्प से है मिली,
तभी तो यह सफलता आज मुझे है मिली।
अभी तक मैंने बहुत चोटें हैं खाई,
तभी तो आज मुश्किलों को सहन करने इतनी क्षमता मुझमें हैं आई।
अगर तुम भी यह दृढ़ संकल्प आज कर लोगे,
फिर देखना तुम भी जल्द असमान छू लोगे।।
Time : 2021-04-25 13:46:23