Sagar Kumar
1988 Delhi
I am a resident of Bihar, sometimes I write something but my work is Web Development and Digital Marketing. www.thegetenquiry.comकिसी ने मुझसे पूछा कैसी दिखती है वो? ...मैं क्या कहता....!
कभी - कभी साड़ी पहनती थी...काली साड़ी तो... हाय! आँखे झपकती ही नहीं थी।
उसके माथे पर छोटी सी बिंदी
आसमां के चांद जैसी लगती थी
रेगिस्तान के रेत जैसा उसके चेहरे का रंग
मजबूर करता थी उसे छूने पर...
जब मुस्कुराती थी तो आँखे उसका गाल छूने को तरसती थी
बिलकुल ऐसी है....
जैसे अभी तुम्हारा चेहरा दिखता है..अरे हाँ.. तुम्हारा ही... बस तुम्हारा।।
Time : 2024-01-04 17:35:44
किसी ने मुझसे पूछा कैसी दिखती है वो? ...मैं क्या कहता....!
कभी - कभी साड़ी पहनती थी...काली साड़ी तो... हाय! आँखे झपकती ही नहीं थी।
उसके माथे पर छोटी सी बिंदी
आसमां के चांद जैसी लगती थी
रेगिस्तान के रेत जैसा उसके चेहरे का रंग
मजबूर करता थी उसे छूने पर...
जब मुस्कुराती थी तो आँखे उसका गाल छूने को तरसती थी
बिलकुल ऐसी है....
जैसे अभी तुम्हारा चेहरा दिखता है..अरे हाँ.. तुम्हारा ही... बस तुम्हारा।।
Time : 2024-01-04 17:35:44
कभी कभी किसी मूवी का कोई सीन देख के एक अहसास सा जगता है
कि तू इस तरह मेरा साथ होती, दिल में ये ख्या़ल सा आता है
फिर होंठों पर एक मुस्कान और दिल हंसते हुए कहता है
चल हठ पगले! ऐसा थोड़े न होता है
Time : 2022-02-21 18:20:51
जब भी देखा करते थे तेरे घर की ऒर, तेरा छत पर आना तो बस एक बहाना था !
हमारे इशारो पर तेरा घबराना आशिकाना था, यू गुस्से से तेरा देखना क्योकि हमे सताना था !
हम कल भी वही थे जो आज है हमें तो बस मोहब्बत को आजमाना था !
चाहे वो गुजरा हुआ कल तो या आज.. बस तेरी गली से गुजरना तो एक बहाना था..!
Time : 2021-03-23 09:20:43
किसी ने मुझसे पूछा कैसी दिखती है वो? ...मैं क्या कहता....!
कभी - कभी साड़ी पहनती थी...काली साड़ी तो... हाय! आँखे झपकती ही नहीं थी।
उसके माथे पर छोटी सी बिंदी
आसमां के चांद जैसी लगती थी
रेगिस्तान के रेत जैसा उसके चेहरे का रंग
मजबूर करता थी उसे छूने पर...
जब मुस्कुराती थी तो आँखे उसका गाल छूने को तरसती थी
बिलकुल ऐसी है....
जैसे अभी तुम्हारा चेहरा दिखता है..अरे हाँ.. तुम्हारा ही... बस तुम्हारा।।
Time : 2024-01-04 17:35:44
कभी कभी किसी मूवी का कोई सीन देख के एक अहसास सा जगता है
कि तू इस तरह मेरा साथ होती, दिल में ये ख्या़ल सा आता है
फिर होंठों पर एक मुस्कान और दिल हंसते हुए कहता है
चल हठ पगले! ऐसा थोड़े न होता है
Time : 2022-02-21 18:20:51
जब भी देखा करते थे तेरे घर की ऒर, तेरा छत पर आना तो बस एक बहाना था !
हमारे इशारो पर तेरा घबराना आशिकाना था, यू गुस्से से तेरा देखना क्योकि हमे सताना था !
हम कल भी वही थे जो आज है हमें तो बस मोहब्बत को आजमाना था !
चाहे वो गुजरा हुआ कल तो या आज.. बस तेरी गली से गुजरना तो एक बहाना था..!
Time : 2021-03-23 09:20:43