Vivek Dubey
1965 Delhi
मिरी तिश्नगी भी एक कहानी कहेगी ।
जिंदगी मुझे ये उम्र दीवानी कहेगी ।
पढ़ लेगा ज़माना खामोशी से मुझे
निगाह निगाह जिसे जुवानी कहेगी ।
Time : 2021-12-22 10:52:04
मिरी तिश्नगी भी एक कहानी कहेगी ।
जिंदगी मुझे ये उम्र दीवानी कहेगी ।
पढ़ लेगा ज़माना खामोशी से मुझे
निगाह निगाह जिसे जुवानी कहेगी ।
Time : 2021-12-22 10:52:04
लिए हक़ीक़त का अहसास सी ।
ओ माँ तू बड़ी ख़ास ख़ास सी ।
मिलता है सुकूँ तेरे आँचल में , तेरी हँसी में सारी कायनात सी ।
Time : 2021-03-23 08:57:12
चलता रहा कल तक, आज की खातिर ।
बजता रहा साज भी ,आवाज की खातिर ।
उतरती रहीं कुछ नज़्में, ख़्वाब जमीं पर , देतीं रहीं हसरतें हवा , नाज की ख़ातिर ।
Time : 2021-03-23 08:56:45
हम ख़्वाब देखते रह गए ।
अहसास सहजते रह गए ।
आए वो हिज़ाब में नज़र ,
हम आफ़ताब देखते रह गए ।
Time : 2021-03-23 08:56:17
लिखता है वो बस लिखता है ।
अनुभव जीवन के लिखता है ।
नही कभी किताबों में छपता है ।
ना ही मंचों पर वो बिकता है ।
Time : 2021-03-23 08:55:37
तुम पूजो जिस पत्थर को पर विश्वास भरो ।
हो जाएगा जड़ भी चेतन छूकर आभास करो ।
मुड़ जातीं है धाराएँ भी सरिता की ,
इठलातीं धाराओं को बाहुपाश भरो ।
Time : 2021-03-23 08:55:09
मंजिलें न तलाश तू , चला चल रास्ते पे तू ।
रास्ता वहीं तमाम होगा , जहाँ मंज़िल का मुक़ाम होगा ।
चिंता नही चिंतन कर तू , मातम नही मंथन कर तू ।
न उलझ दुनियाँ के फैर में , अपना ही सृजन कर तू ।
Time : 2021-03-23 08:54:40
मैं राधिका मन प्यासी बन कृष्ण सखा सी दासी
रच जाऊँ बस जाऊँ नैनन में भेद रहे न इस मन में उस मन में
Time : 2021-03-23 15:05:12
दिलों में खिंचने को है एक दीवार देखो ।
तल्ख़ निगाहों से होता है व्यापार देखो ।
रह न पाए कोई फ़र्क ज़र्रे ज़र्रे का कहीं ।
इश्क़ हुआ है हुस्न का सितमगार देखो ।
विवेक दुबे"निश्चल"@
Time : 2021-03-15 18:57:55
लिए हक़ीक़त का अहसास सी ।
ओ माँ तू बड़ी ख़ास ख़ास सी ।
मिलता है सुकूँ तेरे आँचल में , तेरी हँसी में सारी कायनात सी ।
Time : 2021-03-23 08:57:12
चलता रहा कल तक, आज की खातिर ।
बजता रहा साज भी ,आवाज की खातिर ।
उतरती रहीं कुछ नज़्में, ख़्वाब जमीं पर , देतीं रहीं हसरतें हवा , नाज की ख़ातिर ।
Time : 2021-03-23 08:56:45
हम ख़्वाब देखते रह गए ।
अहसास सहजते रह गए ।
आए वो हिज़ाब में नज़र ,
हम आफ़ताब देखते रह गए ।
Time : 2021-03-23 08:56:17
लिखता है वो बस लिखता है ।
अनुभव जीवन के लिखता है ।
नही कभी किताबों में छपता है ।
ना ही मंचों पर वो बिकता है ।
Time : 2021-03-23 08:55:37
तुम पूजो जिस पत्थर को पर विश्वास भरो ।
हो जाएगा जड़ भी चेतन छूकर आभास करो ।
मुड़ जातीं है धाराएँ भी सरिता की ,
इठलातीं धाराओं को बाहुपाश भरो ।
Time : 2021-03-23 08:55:09
मंजिलें न तलाश तू , चला चल रास्ते पे तू ।
रास्ता वहीं तमाम होगा , जहाँ मंज़िल का मुक़ाम होगा ।
चिंता नही चिंतन कर तू , मातम नही मंथन कर तू ।
न उलझ दुनियाँ के फैर में , अपना ही सृजन कर तू ।
Time : 2021-03-23 08:54:40
मैं राधिका मन प्यासी बन कृष्ण सखा सी दासी
रच जाऊँ बस जाऊँ नैनन में भेद रहे न इस मन में उस मन में
Time : 2021-03-23 15:05:12
दिलों में खिंचने को है एक दीवार देखो ।
तल्ख़ निगाहों से होता है व्यापार देखो ।
रह न पाए कोई फ़र्क ज़र्रे ज़र्रे का कहीं ।
इश्क़ हुआ है हुस्न का सितमगार देखो ।
विवेक दुबे"निश्चल"@
Time : 2021-03-15 18:57:55
मिरी तिश्नगी भी एक कहानी कहेगी ।
जिंदगी मुझे ये उम्र दीवानी कहेगी ।
पढ़ लेगा ज़माना खामोशी से मुझे
निगाह निगाह जिसे जुवानी कहेगी ।
Time : 2021-12-22 10:52:04